( तर्ज - पिया मिलनके काज आज ० )
आज मेरी बिनती सुनके ,
गुणवंत ! सुधी लीजे ।
बारबार कर जोरत स्वामी !
दान यही दीजे ॥ टेक ॥
फेर फेरकर जन्म दिलावे ,
नहि जीवन सूझे ।
जिस कारणसे राम मिलेगा ,
वहि मारग दीजे ॥ १ ॥
शास्त्र पुराणा अनेक मतके ,
क्या त्यजि क्या लिजे
हम गरीबको पार न लगता ,
कहो कैसे कीजे || २ ||
कहता तुकड्या तुम हो तारक ,
गुरुसे प्रभु रोझे ।
कहो कहाँ सत्संग मिलेगा ?
चरणनमे लिजे ॥३ ॥
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